जादुई मूरत
पॅंहुच न पाया जब,
खुदा खुद हर जगह,
तब उसने कर दिया,
एक अनोखी दास्ताॅं।
मतलब से बनी इस दुनिया में,
प्यार से न रहे कोई अजाॅं,
इसलिए हर एक के लिए भेजा
इसने एक सुंदर और प्यारी माॅं।
परेशानियों की बेड़ियों से बंधकर भी,
हमें सिखाती है खुलकर जीना,
जाने किस जादू से,
कर देती है हर मुश्किल आसाॅं।
दीपक सा जलकर जिसने
हमारे जीवन को रोशनी दान।
ममतर की मूरत को पूजकर ही,
हम बनेगें एक अच्छे इंसान।
उसके लिए में सिर्फ प्यार ही प्यार है
जाने किस गुल्लक में करती है इतना प्यार जमा?
माॅं एक शब्द में ही
बसा है ये सारा जहाॅं।
प्रियांशु सहाय ( कक्षा १२ )